निपुण लक्ष्य
निपुण भारत योजना
निपुण भारत योजना को शिक्षा मंत्रालय द्वारा 5 जुलाई 2021 को आरंभ किया गया है। इस योजना का पूरा नाम नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरेसी है। इस योजना के माध्यम से सक्षम वातावरण का निर्माण किया जाएगा। जिसके माध्यम से आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के ज्ञान को छात्रों को प्रदान किया जा सकेगा। निपुण योजना के माध्यम से सन 2026-27 तक प्रत्येक बच्चे को तीसरी कक्षा के अंत तक पढ़ने, लिखने एवं अंकगणित को सीखने की क्षमता प्रदान की जाएगी। इस योजना का कार्यान्वयन स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा किया जाएगा। निपुण भारत लक्ष्य स्कूली शिक्षा कार्यक्रम समग्र शिक्षा का एक हिस्सा होगी।
निपुण योजना के तहत सरकार का प्रयास नौनिहालों को कक्षा 3 से 6 तक साक्षर बनानां है। साक्षर होने का अर्थ है कि बच्चों को वो योग्यता हासिल हो जिसके जरिये छात्र पढ़ने -लिखने, बोलने और व्याख्या करने में सक्षम हो सके। इसके साथ ही दिन-प्रतिदिन की समस्याओं को हल करने के लिए मूलभूत संख्यात्मक विधियों और विश्लेषण का उपयोग करने की क्षमता ग्रहण कर सके । इसी बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता के आधार पर विद्यार्थी भविष्य में कोई भी विद्या या शिक्षा ग्रहण कर सकता है। जानकारी दे दें कि ये बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता का ज्ञान विशेष रूप से बच्चों को ग्रेड – 3 तक प्राप्त करना होता है।
निपुण भारत के माध्यम से आधारभूत साक्षरता तथा संख्यामकत को तीसरी कक्षा के छात्रों के अंतर्गत विकास किया जाएगा। जिससे कि आने वाले समय में उनको शिक्षा प्राप्त करने में किसी भी बाधा का सामना ना करना पड़े। इसके अलावा निपुण योजना के अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया जाएगा। बच्चों का स्वास्थ्य शारीरिक विकास व्यायाम और खेल स्वच्छता के पहलू वस्तुओं, खिलौनों आदि को व्यवस्थित ढंग से रखना बच्चों की सामाजिक एवं भावनात्मक प्रगति आदि बच्चों को प्रभावी संचारक बनाना स्कूल बेस्ड एसेसमेंट के तहत बच्चों की मातृभाषा को संचारक की भाषा बनाना जिससे कि वह अपनी बात संचारक के सामने रख सकें।.
भाषा एवं मूलभूत साक्षरता के लिए उपायुक्त प्रदर्शन हंसोदापन भावना का विकास गैर मौखिक संचार को महत्व देना बच्चों को इन्वॉल्व लर्नर बनाना कहानियां बनाने के लिए प्रोत्साहित करना बच्चों को विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट एवं टास्क देना भौतिक वातावरण को समझने का मौका प्रदान करना पोर्टफोलियो आकलन के लिए श्रव्य दृश्य उपकरणों का निर्माण प्रश्न बैंक का विकास आदि.
मूलभूत भाषा एवं साक्षरता(बुनियादी भाषा और साक्षरता) मौखिक भाषा का विकास धवनियात्मक जागरूकता डिकोडिंग शब्दावली रीडिंग कंप्रीहेंशन पठन प्रवाह प्रिंट के बारे में अवधारणा लेखन कल्चर ऑफ रीडिंग
मूलभूत संख्यामकता और गणित कौशल (बुनियादी संख्यात्मकता और गणित कौशल) पूर्व संख्या अवधारणाएं नंबर एंड ऑपरेशन ऑन नंबर गणितीय तकनीकें मापन आकार एवं स्थानिक समाज पैटर्न.
निपुण भारत योजना का उद्देश्य
आधारभूत साक्षरता एवं संख्यामक्त के ज्ञान को छात्रों के अंतर्गत विकसित करना है। इस योजना के माध्यम से सन 2026-27 तक तीसरी कक्षा के अंत तक छात्र को पढ़ने, लिखने एवं अंकगणित को सीखने की क्षमता प्राप्त होगी। निपुण भारत मिशन का उद्देश्य कक्षा 3 से कक्षा 6 के छात्रों में आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता का ज्ञान देना है। जिससे उनकी शिक्षा की नींव मजबूत बन सके। बुनियादी ज्ञान मजबूत होना आवश्यक है। आज भी ग्रेड 3 में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए और उनके सम्पूर्ण मानसिक विकास करने के लिए ये आवश्यक है की आज के समय की मांग के अनुसार उन्हें बुनियादी शिक्षा और उसके पाठ्यक्रमों में पारंगत बनाया जाए। यह योजना बच्चों के विकास के लिए बहुत कारगर साबित होगी। निपुण भारत योजना के माध्यम से अब बच्चे समय से आधारभूत साक्षरता एवं संख्यामक्त का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। जिससे की उनका मानसिक एवं शारीरिक विकास होगा। निपुण भारत का संचालन शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा किया जाएगा। यह योजना स्कूली शिक्षा कार्यक्रम समग्र शिक्षा का एक हिस्सा होगी। इस योजना को नई शिक्षा नीति के अंतर्गत आरंभ किया गया है। निपुण भारत योजना के माध्यम से बच्चे संख्या, माप और आकार के क्षेत्र के तर्क को भी समझ पाएंगे।.
मिशन के उद्देश्य:
• बच्चों को संख्या, माप और आकार के क्षेत्र में तर्क को समझाने के लिए; और उन्हें संख्यात्मकता और स्थानिक समझ कौशल के माध्यम से समस्या का समाधान कर सक्षम बनाना ।
• बच्चों की परिचित/घरेलू/मातृभाषा या भाषाओं में उच्च गुणवत्ता और सांस्कृतिक रूप शिक्षण सामग्री की उपलब्धता और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना ।
• शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों, शैक्षणिक संसाधन व्यक्तियों और शिक्षा प्रशासकों के निरंतर क्षमता निर्माण पर ध्यान देना |
• आजीवन सीखने की एक मजबूत नींव बनाने के लिए सभी हितधारकों अर्थात शिक्षकों, अभिभावकों, छात्रों और नीति निर्माताओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना |
• पोर्टफोलियो, समूह और सहयोगात्मक कार्य, परियोजना कार्य, प्रश्नोत्तरी, रोल प्ले, खेल, मौखिक प्रस्तुतीकरण, लघु परीक्षण आदि के माध्यम से सीखने के लिए मूल्यांकन सुनिश्चित करना ।
• सभी छात्रों के सीखने के स्तर पर नज़र रखना |
• बच्चों को सतत पठन और लेखन कौशल की समझ के साथ प्रेरित करना, स्वतंत्र बनाना और लेखन शैली में सक्षम बनाना |
• खेल, खोज और गतिविधि-आधारित शिक्षाशास्त्र को शामिल करके, बच्चों को दैनिक जीवन स्थितियों से जोड़कर और बच्चों की घरेलू भाषाओं को औपचारिक रूप से शामिल करके कक्षा में समावेशी वातावरण सुनिश्चित करना।